ब्लॉग में प्रस्तुत हैं कवयित्री विनीता मैठाणी जी द्वारा रचित जिन्दगी पर गजल "आग़ाज़" एवं "शूल" । बहुत ही सुंदर प्रेरणादायक जिन्दगी पर गजल में छिपे कुछ तथ्य के अनुसार मैं अपनी बुद्धिमता के अनुसार वर्णन कर रहा हूँ कि दुःखी मनुष्य के साथ आपका मधुर व्यव्हार एवं वाणी दर्द में दवा का काम करती है। नारी को सम्बोधित करते हुए कि प्रेम में बंधकर रिश्तों को निभाना चाहिए , नियमों में बँधकर मर्यादित होने के साथ-साथ एक अतिरिक्त स्वतन्त्र जीवन का होना भी स्वयं की प्रगति के लिए आवश्यक है । नारी एवं पुरुष को सम्बोधित करते हुए कि अपनी मधुर मुस्कान से हर व्यक्ति के आप प्रिय हो सकते है , आप हर व्यक्ति के प्रिय होने पर अपने आप एवं अपनी भावनाओ से मोहब्बत करेंगे। समाज एवं परिवार को सम्बोधित करते हुए कि किसी नारी अथवा महिला के स्वच्छंद विचरण से उसके साथ अभद्र व्यव्हार होना समाज के लिए एक बहुत बड़ा कलंक हैं। किसी नारी की खूबसूरती को बुरी नजर से न देखते हुए अपने परिवार की खूबसूरती की तरह समझना चाहिए। उस नारी के साथ अपनी माँ , बहिन एवं पुत्री के सम्मान व्यव्हार करना चाहिए।
- ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न"(एडमिन /कवि )
जिन्दगी पर गजल "आग़ाज़"
जिन्दगी पर गजल "शूल"
सम्बन्ध
इस कविता एवं पोस्ट का पूर्णतः कॉपी राइट किया जा चुका है। कविता एवं पोस्ट पूर्णतः कॉपी राइट एक्ट "©®" के अधीन है।
अन्य हिंदी कविताओं का सम्पूर्ण सारांश सहित पढ़ने अथवा यूट्यूब पर देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करे -
1 Comments
👏👏👏👏
ReplyDelete