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जिन्दगी पर गजल | दर्द | प्रेम | मोहब्बत | खूबसूरती | आग़ाज़ | शूल

ब्लॉग में प्रस्तुत हैं कवयित्री विनीता मैठाणी जी द्वारा रचित जिन्दगी पर गजल "आग़ाज़" एवं "शूल" । बहुत  ही सुंदर प्रेरणादायक जिन्दगी पर गजल में छिपे कुछ तथ्य के अनुसार मैं अपनी बुद्धिमता के अनुसार वर्णन कर रहा हूँ कि दुःखी मनुष्य के साथ आपका मधुर व्यव्हार एवं वाणी दर्द में दवा का काम करती है।  नारी को सम्बोधित करते हुए कि प्रेम में बंधकर रिश्तों को निभाना चाहिए , नियमों में बँधकर मर्यादित होने के साथ-साथ एक अतिरिक्त स्वतन्त्र जीवन का होना भी स्वयं की प्रगति के लिए आवश्यक है । नारी एवं पुरुष को सम्बोधित करते हुए कि अपनी मधुर मुस्कान से  हर व्यक्ति के आप प्रिय हो सकते है , आप हर व्यक्ति के प्रिय होने पर अपने आप एवं अपनी भावनाओ से मोहब्बत करेंगे। समाज एवं परिवार को सम्बोधित करते हुए कि किसी नारी अथवा महिला के स्वच्छंद विचरण से उसके साथ अभद्र व्यव्हार होना समाज के लिए एक बहुत बड़ा कलंक हैं। किसी नारी की खूबसूरती को बुरी नजर से न देखते हुए अपने परिवार की खूबसूरती की तरह समझना चाहिए। उस नारी के साथ अपनी माँ , बहिन एवं पुत्री के सम्मान व्यव्हार करना चाहिए। 

                           - ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न"(एडमिन /कवि )

जिन्दगी पर गजल "आग़ाज़"

जिंदगी मे हर दिन का,
अच्छाइयों से आग़ाज़ कीजिए ।।
किसी को न दर्द पहुंचे,
जीने का कुछ ऐसा अपना अंदाज़ कीजिए ।।
मिल जाते हैं फकत कुछ साथी यहां
पर संभलकर उन्हे् हमराज़ कीजिए ।।
जाने कब हमारा खुदा से मिलन हो जाये,
दर्द में दवा बन जाएं युं अपने अल्फाज़ कीजिए ।।
कब वक्त गुजारना पड़ जाये मुश्किल,
हालात-ए-रिश्तों को न यूं नासाज़ कीजिए ।।
बेवक्त काम आता है इन्सान ही ,
अपनी अमीरी को न अपना सरताज़ कीजिए ।।
अपनी सरज़मीं के काम आये जो,
ऐसे व्यक्ति को परवाज़ दीजिए ।।
"दर्पण" में देखकर मोहब्बत हो ख़ुद से,
खूबसूरत मुस्कुराहटों से दिलों में राज कीजिए।

.....©®..कवयित्री विनीता मैठाणी

 

जिन्दगी पर गजल  "शूल"

किसी की तो जिंदगी को कैद करो,
और मोहब्बत किसी और से जताओ।
चलन सा हो गया है फ़िज़ा में शायद,
घर किसी का जला कर रोशनी पाओ।
माना पहरे नहीं दिल के जज़्बातों पर,
उमड़ते दुर्भावों पर लगाम तो लगाओ ।
खुशियाँ छीन खुशी पाना संभव नहीं,
मर्म प्रेम का समझकर ही जी लगाओ।
नियमों में बंधकर रहें गँवारा नहीं हमें,
स्वच्छंद विचरण से न पशुता दिखाओ।
खूबसूरती को न "शूल" बनाना देखो
चाहे फूलों से गुलशन जरुर सजाओ ।

.....©®..कवयित्री विनीता मैठाणी
 

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कातिल निगाहें लेकर बाज। 
मुझे निगल जायेगा आज


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