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जीवों पर दया करो - कहानी | सरिता मैंदोला


 


  जीवों  पर दया करो 

       मोनू  जहाँ  भी कोई  चिड़िया, बिल्ली या अन्य कोई  भी पशु और जीव -जन्तुओं को देखता, तो उनको पत्थर या डण्डे से मार देता था। उसकी इस आदत से गाँव वाले और उसके घर वाले  बहुत दुखी और परेशान रहते थे। बहुत समझाने पर भी वह किसी का कहना नही मानता था। 


          एक दिन वह अपने दोस्त दीपू के साथ स्कूल से वापिस घर आ रहे थे,तभी मोनू की नजर पेड़ पर बैठी चिड़िया पर पडी़, उसने नीचे से पत्थर उठाया और चिडि़या पर मार दिया। चिड़िया तड़पती हुयी पेड़ से नीचे गिर पड़ी। मोनू जोर जोर से ताली बजाकर हंस रहा था ,कह रहा था कि मेरा निशाना सही लग गया | दीपू ने तुरन्त घायल चिड़िया  के घाव पर अपना रुमाल बांध दिया और  उसको लेकर घर की ओर दौड़ पड़ा। उसने हाँफते हुए दादाजी को सारी बात बता दी। दादा जी ने चिड़िया के घाव पर पट्टी बाँध दी ,और दीपू  से कहा कि,.. "मोनू को बुलाकर ले आओ ,"। दीपू मोनू को दादा जी के पास ले आया।   

          चिड़िया ने जैसे ही मोनू को देखा वह चीं चीं करती हुयी, पंख फड़ फड़ा कर  दादा जी की गोद में दुबक गयी।  दादाजी ने मोनू को समझाते हुए कहा," कि बेटा किसी भी प्राणी,जीव जन्तु को बिना कारण के नही मारना चाहिए ,वे किसी को कोई नुकसान नही पहुंचाते हैं ', पशु, पक्षी भी अपनी भाषा में बोलते हैं ,  परन्तु हम इनकी भाषा नही समझ पाते हैं,वे भी प्रेम व स्नेह पाना चाहते हैं | इसलिए जीव जन्तुओं को प्यार करना चाहिए उनको सताना नही चाहिए। 

*शिक्षा*~~~ किसी भी प्राणी को नही सताना चाहिए,सभी पर दया करनी चाहिए। 

        - लेखिका सरिता मैन्दोला

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हम तो खुशी-खुशी स्कूल जायेंगे।
हम तो स्कूल में आनन्द मनायेंगे।।
हम तो खुशी............................
-कवयित्री सरिता मैंदोला
"आनंदम गीत" पढ़ने के लिए क्लिक करे -Click Here

अपने प्यारे उत्तराखंड को,
हमने खुशहाल बनाना है।
नशा मुक्त हो राज्य ये अपना,
दृढ़-संकल्प ये करना है।।
-कवयित्री सरिता मैंदोला
"नशा मुक्ति" पर कविता पढ़े -Click Here

लाल रंग की चिड़िया ,
लगती कितनी सुन्दर।
मधुर गाना वो गाती है।
उड़ना उसका सपना है।
-बाल कवयित्री प्रियांशी (रा.उ.प्रा.वि. गूमखाल )
"लाल रंग की चिड़िया" बाल कविता पढ़े -Click   

कितनी सुन्दर तितली है। 
रंग बिरंगी तितली है।। 
देखूँ मैं तुम्हे हर पल।
खुश रहूँ तुझे देखकर।।
तेरे साथ मैं खेलूं हर पल।
-बाल अर्पित रावत (रा.उ.प्रा.वि. गूमखाल )
"तितली" बाल कविता पढ़े -Click Here

जीवन की गहराई में जाकर,
कुछ क्षण तुमसे बात करके,
पूछ लिया हाल सखा तुम्हारा।
बचपन के तुम सखा पाकर,
कसूर दिल का समझा करके,
गुजरा समय कवि असहाय तुम्हारा।
-ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न "
"सखा" पूरी कविता पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे -Click Here

मोह जाल में फँसकर हम ,
भूल गए जीवन की शान  । 
जन्मदाता मेरे पालनकर्ता तुम ,
हम छोड़ गए अपना भगवान ।
-ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न "
माता -पिता पर सम्पूर्ण सारांश सहित पूरी कविता पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें -Click Here

रिश्तों की सुन्दर डोर हाथ में,
बन्धन एक सवेरा बना।
कदम बढ़ते गए जिनके हर रोज,
उनका मंजिल में नया डेरा बना।।
रिश्तों की मर्यादा को छूकर,
मंजिलों का स्वर्ण महल बना।
-ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न "
रिश्ता पर सम्पूर्ण सारांश सहित पूरी कविता पढ़ने के लिए क्लिक करें -Click Here

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