Ticker

6/recent/ticker-posts

समय परिवर्तन पर कविता | बदलाव | नजर | कवयित्री सुनीता ध्यानी

समय परिवर्तन पर हिंदी कविता बदलाव में आप पढ़ रहे हैं कि जीवन का आरम्भ एक अद्भुत घटना होती है, जिसे अनुभूत करने की स्थिति में कोई भी प्राणी स्वयं सक्षम नहीं होता । 

अनभिज्ञ

क्योंकि तब वह सोचने-समझने-व्यक्त करने की क्षमता से अनभिज्ञ होता है । समय परिवर्तन के साथ-साथ शरीर और विचार विकसित होते हैं, बदलते हैं। 

बदलाव 

विचारों का सकारात्मक विकास और बदलाव जीवन की सफलता होती है। अन्य प्राणियों में मनुष्य को श्रेष्ठ माना गया है...भाषा-विचार को व्यक्त करने का उपहार भी उसे ही मिला है ।  थोड़ी सी बिडम्बना है.. न चाहते हुए भी मुझे कहना पड़ता है कि महिलाओं का जीवन पुरुषों की तुलना में कठिन रहा है, बहुत कम महिलाएँ स्वयं को समझना चाहती हैं या समझ पाती हैं। उनकी दुनिया उनके अंदर ही पुष्पित, पल्लवित होकर कब सूख जाती है ,किसी को पता नहीं चलता। 

सन्देश 

मेरी यह कविता उन सभी को समर्पित है जो अपने जीवन को कर्तव्य की राह में इतना व्यस्त कर देते हैं कि स्वयं के लिए समय नहीं निकाल पाते... मेरा आग्रह रहेगा कि थोड़ा सा समय स्वयं को भी दीजिए, एक नजर से स्वयं को भी देखिये , स्वयं की आवाज़ भी सुनिए, सबको सुनाइए और जीवन को जीने का आनंद लीजिए। 

                                   - कवयित्री सुनीता ध्यानी

समय परिवर्तन पर हिंदी कविता "बदलाव "

उम्र के उस दौर में सफर कर रही हूँ।

जहाँ परिभाषा स्वयं की गढ़ रही हूँ।

बहुत देख चुकी जमाने की नजर से;

अपनी नजर से खुद को अब देख रही हूँ।

अनुभव की कुछ लकीरें जो उभरी हैं चेहरे पर; 

वो आत्मविश्वास बनकर हर कदम मेरे साथ चल रही हैं। 

दर्द कुछ दाँत में; कुछ कंधे में और पैरों में है जो थकान; 

मुझे रह-रह बताते हैं जो भी आज तक निभाया है। 

नैन-नक्शों की सुन्दरता के अब रहे न कोई मायने; 

मेरे मन के धीरज ने मुझे अब सुन्दर बनाया है।

कोई क्या कहेगा ? 

कौन मेरी सुनेगा ?

 इन प्रश्नों को अब झुठलाया है। 

न कुछ कहना है न सुनना किसी से; 

अब दिल खुद का खुद से लगाया है। 

सम्मान बड़ों का सदा ही किया; 

सदा फर्ज छोटों से  निभाया है। 

मन की तसल्ली; 

सुकून दिल का शायद मैंने यूँ  कमाया है। 

मुस्कराने की भी फुर्सत नहीं थी;

 अब खिलखिलाने का समय पा लिया है; 

उम्र के उस दौर में आ गई हूँ ,

कि खुद को सामने से पा लिया है। 

                      - कवयित्री सुनीता ध्यानी

देवभूमि काव्य दर्शन ब्लॉग को उत्कर्ष कविताये / गजल प्रदान करने के लिए आप सभी कवि / कवयित्रियों का मैं दिल से आभार व्यक्त करता हूँ। 

                 - ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न"(कवि /एडमिन )

सम्बन्ध 

इस कविता एवं पोस्ट का पूर्णतः कॉपी राइट किया जा चुका है। कविता एवं पोस्ट पूर्णतः कॉपी राइट एक्ट "©®" के अधीन है। 

www.myhindipoetry.com आधुनिक कविताओं का ब्लॉग सम्पूर्ण सारांश सहित विजिट अवश्य करें। 


यह भी पढ़े -




Subsribe our chanal 


रिश्तों की सुन्दर डोर हाथ में । 
बन्धन एक सवेरा बना ।
कदम बढ़ते गए जिनके हर रोज । 
उनका मंजिल में नया डेरा बना ।


यह भी पढ़े - 

अन्य हिंदी कविताओं  का सम्पूर्ण सारांश सहित पढ़ने अथवा  यूट्यूब पर देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करे -

1 - यूट्यूब चैनल पर गढ़वाली कविता "स्कूल मा माँ जी "













Share This Post :-


Post a Comment

1 Comments