नशा समाज में बुराइयों को जन्म देती है। नशा व्यक्ति के विकास के साथ - साथ समाज के विनाश का कारण भी बन जाता है। युवाओ में नशा करने की प्रवृति बहुत तेजी बढ़ रही है। जो कि परिवार , समाज एवं देश के लिए चिंता का विषय है।
सामान्य बचाव
बच्चों में स्वच्छ संस्कारो से उन्हें नशा से दूर रखा जा सकता है। साथ ही सामाजिक जागरूकता से युवाओ को नशा से मुक्त अथवा दूर रखा जा सकता है। सामाजिक जागरूकता के अंतर्गत स्वच्छ माहौल का निर्माण कर, नशा करने के दुष्परिणामो की समझ पैदा कर , हम अपने युवाओ को ऐसी बुरी संगत से बचा अथवा दूर रख सकते है। इसी विषय पर कवयित्री सरिता मैंदोला द्वारा रचित कविता " नशा मुक्ति " समाज में प्रत्येक वर्ग के व्यक्तियों को प्रेरणा प्रदान करती है। We are very thankfull for sharing her poem hindi poem on deaddiction .
- ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न" ( एडमिन /कवि )
"नशा मुक्ति"
अपने प्यारे उत्तराखंड को,
हमने खुशहाल बनाना है।
नशा मुक्त हो राज्य ये अपना,
दृढ़-संकल्प ये करना है।।
सात्विक प्रवृत्ति होगी सबकी,
हृदय परिवर्तन कराना है।
युवाओं को जागृत करके,
उनमें बुद्धि विवेक जगाना है।।
मादक द्रव्यों की तस्करी करते जो,
उनको कठोर दण्ड दिलाना है।
बर्बाद हो गये नशे से जो घर,
उनको फिर से बसाना है।।
विभिन्न संगठनों व काउंसलरों को,
अपना मददगार बनाना है।
गाँव-गाँव और शहर,नगर में,
नशा मुक्ति का बिगुल बजाना है।।
गंवा चुके जो नशे में सब कुछ,
उनमें आत्मविश्वास जगाना है।
अपने इस सुन्दर राज्य को,
नशे से मुक्त कराना है।।
जन-जन के सहयोग से और,
समाज की एकजुटता से,
नशे के इस दानव को,
हमने जड़ से मिटाना है।
अपनी इस देवभूमि को,
हर नशे से मुक्त कराना है।।
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- ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न"(कवि /एडमिन )
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कदम बढ़ते गए जिनके हर रोज,
उनका मंजिल में नया डेरा बना।।
रिश्तों की मर्यादा को छूकर,
मंजिलों का स्वर्ण महल बना।
-ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न "
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