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पिता पर बेहतरीन हिंदी कविता | पापा | Best hindi Poem on father


प्रत्येक मनुष्य के लिए पिता एक आदर्श होते  है। कवयित्री सुमन लता ध्यानी जी द्वारा रचित पिता पर बेहतरीन हिंदी कविता "मेरे पिता- मेरे आदर्श" एक पिता की भूमिका को सार्थक सिद्ध करती है। अक्सर माँ के प्यार को अधिक महत्व दिया जाता है , किन्तु वास्तविक मम्मी - पापा का प्यार अपने बच्चों के लिए सामान होता है। This poem is one the Best hindi poem on father . Many congratulation to her first Poem in the life.

                                       -ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न"


पिता पर बेहतरीन हिंदी कविता 
"मेरे पिता- मेरे आदर्श"

आज भी याद आती है पापा कि वो बांहे,
धरती आकाश को ले जाती हमें वो बाहें ।।

तब ना जग से कोई परिचय था,
पिता से ही खुशी और पिता से ही आनंद था।।

बनकर हाथी घोड़ा सवारी हमें कराते,
उस छोटी सी उम्र में आनंद हम बहुत पाते।।

मां टोकती, पिता को पूछती,
क्या बस यह एक काम तुम्हारा?
पापा कहते काम यही तो सबसे न्यारा ।।

खुश और जिंदादिल शख्सियत, 
कर्मयोगी और दृढ़ मेहनत का खाना, 
मेहनत से जीना ,
रहना सदा निर्भीक।।

पापा की थी हमें नसीहत,
आए अगर जो कठिनाई,
रखना तुम विश्वास हमेशा डरना कभी नहीं।।

सानिध्य में उनके जो मिला उसका न कोई पार,
निर्लोभी और निश्चल रहना बांटना खुशियां अपार।।

पापा जब भी गांव ले जाते
हौसले का पाठ खूब पढ़ाते,
जन्मभूमि है स्वर्ग से बढ़कर
मेहनत की शिक्षा हम पाते।।

प्रेरणा पाकर उनसे जीवन पथ पर बढ़ते जाएंगे ,
काट झुरमुट कठिनाइयों के
             आगे को कदम बढ़ाएंगे ।।
       

                         - कवयित्री सुमन लता ध्यानी


www.myhindipoetry.com  आधुनिक कविताओं का ब्लॉग सम्पूर्ण सारांश सहित विजिट अवश्य करें। 

परिचय 

"मेरे पिता मेरे आदर्श" कविता मेरी पहली कविता है। शादी होकर जब ससुराल आई तो खुशी के साथ गम भी था। पिता से अलग होने पर उनकी शख्सियत को जिस तरह मैंने महसूस किया था, उन्हीं भावनाओं को कविता के रूप में आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूं। इस कविता में मैंने अपने बचपन, उसके बाद बाल्यावस्था, उसके बाद किशोरावस्था, और स्वयं के युवा होने तक जो भी अनुभव किया उसको कविता की पंक्तियों में पिरोने की एक छोटी सी कोशिश है।

बचपन 

कविता में बचपन में पिता द्वारा गोद में उठाकर आकाश की तरफ ले जाने और फिर नीचे धरती की तरफ लाकर बार-बार झुलाने जैसे भाव का वर्णन है । 

खेल 

पिता द्वारा अपने बच्चों के साथ आनंद वाले खेल करना पिता द्वारा अपना मौलिक कर्तव्य समझना बताया गया है। बचपन में संसार हमारे लिए अजनबी था। केवल पिता ही हमारा संसार हुआ करते थे। मां पिता की आपसी मीठी नोकझोंक कई बार हमें खुश होने का अवसर देती। 

निर्भीक और स्वाभिमानी

आगे कविता में फिर पिताजी की निर्भीक और स्वाभिमानी स्वभाव को बताया  है कि किस तरह पिताजी मेहनत के साथ स्वाभिमानी बने रहे । पिताजी अपने आदर्शों पर चलकर ही मंजिल पाने में विश्वास रखते हैं। 

कर्मयोगी

आगे की पंक्तियों में पिताजी के कर्मयोगी और जन्मभूमि के प्रेम के बारे में बताया गया है कि वह हमेशा अपनी मातृभूमि से प्रेम करते रहे। और अपने बच्चों को भी स्वयं की जन्मभूमि से जोड़कर कठिनाइयों को पार करने और हौसले का पाठ पढ़ाते रहे। पिताजी द्वारा दी गई सीख को व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में अपनाते हुए निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा ली गई है। और बस यही समाज के सामने कुछ पंक्तियों के द्वारा रखने की कोशिश भी मेरे द्वारा की गई है                                                                                        - कवयित्री सुमन लता ध्यानी

देवभूमि काव्य दर्शन ब्लॉग को उत्कर्ष कविताये / गजल प्रदान करने के लिए आप सभी कवि / कवयित्रियों का मैं दिल से आभार व्यक्त करता हूँ।              - ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न"(कवि /एडमिन )

सम्बन्ध 

इस कविता एवं पोस्ट का पूर्णतः कॉपी राइट किया जा चुका है। कविता एवं पोस्ट पूर्णतः कॉपी राइट एक्ट "©®" के अधीन है। 

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भूल गए जीवन की शान  । 
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हम छोड़ गए अपना भगवान ।

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2 Comments

  1. 👏👏👏👏 स्वागत पहली कविता के साथ!

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  2. बहुत सुंदर भाव 👌👌👌👌👍👍

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